हमारे बारे में

गौ सुरभी की स्तुति एक बार वाराहकल्प में आदि गौ सुरभी ने दूध देना बंद कर दिया। उस समय तीनों लोकों में दूध का अभाव हो गया जिससे समस्त देवता चिन्तित हो गए। तब सभी देवताओं ने ब्रह्माजी से प्रार्थना की। ब्रह्माजी की आज्ञा से इन्द्र ने आदि गौ सुरभी की स्तुति की– नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नम:। गवां बीजस्वरूपायै नमस्ते जगदम्बिके।। नमो राधाप्रियायै च पद्मांशायै नमो नम:। नम: कृष्णप्रियायै च गवां मात्रे नमो नम:।। कल्पवृक्षस्वरूपायै सर्वेषां सततं परे। श्रीदायै धनदायै बुद्धिदायै नमो नम:।। शुभदायै प्रसन्नायै गोप्रदायै नमो नम:। यशोदायै कीर्तिदायै धर्मदायै नमो नम:।। अर्थात्–देवी एवं महादेवी सुरभी को नमस्कार है। जगदम्बिके ! तुम गौओं की बीजस्वरूपा हो, तुम्हे नमस्कार है। तुम श्रीराधा को प्रिय हो, तुम्हें नमस्कार है। तुम लक्ष्मी की अंशभूता हो, तुम्हे बारम्बार नमस्कार है। श्रीकृष्णप्रिया को नमस्कार है। गौओं की माता को बार-बार नमस्कार है। जो सबके लिए कल्पवृक्षस्वरूपा तथा श्री, धन और वृद्धि प्रदान करने वाली हैं, उन भगवती सुरभी को बार-बार नमस्कार है। शुभदा, प्रसन्ना और गोप्रदायिनी सुरभी को बार-बार नमस्कार है। यश और कीर्ति प्रदान करने वाली धर्मज्ञा देवी को बार-बार नमस्कार है। इस स्तुति से आदि गौ सुरभि प्रसन्न हो गईं। फिर तो सारा विश्व दूध से परिपूर्ण हो गया। दूध से घृत बना और घृत से यज्ञ होने लगे जिससे देवता भी प्रसन्न हो गए। ललकते सुर भी सुरभी हेतु, यही है धर्म-शक्ति का केतु। नन्दिनी-कामधेनु का रूप, घूमते जिनके पीछे भूप।। रामनगर जिला नैनीताल उतराखंड एक तहसील है I जिसकी आबादी लगभग 80,000 है I रामनगर उत्तराखंड की दो कमिश्नरियों गढ़वाल एवं कुमाउन का द्वार है I यह उत्तराखंड के समस्त मार्गो से जुड़ा हुआ उत्तराखंड का इकलौता शहर है जो की उत्तराखंड के बिलकुल मध्य में स्थित है I तभी तो माननीय भगत सिंह जी कोश्यारी ( वर्तमान में महाराष्ट के राज्यपाल ) ने रामनगर को उत्तराखंड की राजधानी बनाने का सपना देखा था जो कि पूरा न हो सका और रामनगर विकास से वंचित एक शहर है, जहाँ पर श्री कामधेनु गोविन्द गोधाम समिति की स्थापना की गई है I वर्तमान मे इस गोधाम में 150-170 संख्या गोवंश की है जिनमे दूध देने वाली केवल 12 गाये हैं शेष गाये सेवा के लिये रखी गई है I अधिकतर गोवंश को पुलिस द्वारा कसाइयों से जब्त करके दिया गया है I 50-70 गाये उपजिलाधिकारी अल्मोड़ा व द्वाराहाट आदि स्थानों से गौशाला में भेजी गई जहाँ वे खेतों को हानि पंहुचा रही थीं I हमारा गौशाला बनाने का उद्देश्य केवल गौशाला चलाना ही नहीं है , हमारा उद्देश्य देशी गौमाता की नस्लों को सुधार करना भी है इसी उद्देश्य से हमारी गौशाला मे एक गिर जाति का सांड भी तैयार किया गया है I और एक सांड साहिवाल नस्ल का भी है I


हम क्या करते हैं

अनुच्छेद

गौ सेवा

Gau Seva paragraph

मानव सेवा

Manav seva paragraph.

शिक्षा

Siksha paragraph

समाचार पत्रिका
चिकित्सालय

Chikitsalay paragraph

शिक्षा

Siksha paragraph